गायत्री मंत्र (GAYATRI MANTRA) के लाभ जानकर आप कल सुबह से ही गायत्री मंत्र का उच्चारण करना शुरू कर दोगे जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं गायत्री मंत्र के लाभ और इसके उच्चारण से हमें जो लाभ मिलता है उसके बारे में तो हम एक-एक कर के विस्तार में समझेंगे गायत्री मंत्र से होने वाले लाभ और गायत्री मंत्र का उच्चारण या खेलो उसका स्मरण कब नहीं करना चाहिए
गायत्री मंत्र में है दैविक शक्तियां
आपने यह कई बाहर अपने बड़े और बुजुर्गों से सुना होगा की गायत्री मंत्र (GAYATRI MANTRA) के उच्चारण से कई समस्याएं दूर हो जाती हैं अब आप थोड़ा अपने दिमाग पर जोर डालकर सोचिए कि गायत्री मंत्र के अलावा ऐसा कौन सा मंत्र है जो आपको याद है शास्त्रों में तो बहुत सारे मंत्र हैं लेकिन गायत्री मंत्र ही क्यों इतना प्रचलित है और सभी को याद है शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि ऋषि विश्वामित्र ने अपने कठोर तप से गायत्री मंत्र की उत्पत्ति की थी यह गायत्री मंत्र ऋग्वेद में संस्कृत भाषा में लिखा गया है
गायत्री मंत्र क्यों है इतना शक्तिशाली जानते हैं इसके पीछे का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण
आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि इतने छोटे से गायत्री मंत्र के उच्चारण से प्रति सेकंड 110000 ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती है इसका फायदा यह होता है कि दिमाग किसी भी प्रकार की तनाव पूर्ण बातें नहीं सोच पता है और मन को शांति का अनुभव होता है
इसका उच्चारण करते समय 110000 तरह की तरंगों का संचार हमारी सांसों से पूरे शरीर में होता है जिससे कई सारे रोगों का नाश होता है
आखिर क्या है गायत्री मंत्र के उच्चारण का सही समय?
गायत्री मंत्र के उच्चारण का सही समय सूर्य उदय से 90 मिनट पूर्व का है अर्थात सूर्य उदय होने से 90 मिनट पहले हमें इसका उच्चारण कर लेना चाहिए और 90 मिनट पहले का वैज्ञानिक तर्क यह है कि सुबह वायु शुद्ध होती है जब हम इसका उच्चारण करते हैं तो हमारे शरीर में स्वच्छ वायु का संचार होता है और गायत्री मंत्र के उच्चारण से जो तरंगें पैदा होती है उनके साथ जीवन व्यू यानी कि ऑक्सीजन के मिलने से कई सारे नस स्वत ही हो जाता है गायत्री मंत्र के फायदे के बारे में भारत में नहीं विदेश में भी चर्चा है पश्चिमी संस्कृति के लोग बड़े-बड़े सेमिनार आयोजित कर कर समूह में गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हैं
आखिर क्या है इतने प्रचलित गायत्री मंत्र का अर्थ? (GAYATRI MANTRA IN HINDI)
ॐ भूर् भुवः स्वः।तत् सवितुर्वरेण्यं।भर्गो देवस्य धीमहि।धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
{ ओम भर बुवा स्वाहा तत्सवितुर्वरेंयं भर्गो देवासी धीमी दियो जो एन प्रचोदयात् }
अर्थ :- हम उसे अविनाशी ईश्वर का ध्यान करते हैं जो भूलोक अंतरिक्ष और स्वर्ग लोकन को उत्पन्न किया हमें सद्बुद्धि दें एवं सत्कर्म में प्रेरित करें
गायत्री मंत्र सूर्य देव की पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है, और इसे सविता देवता को समर्पित किया गया है।
- गायत्री मंत्र को सूर्य देव की उपासना के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध माना जाता है, और इसे सविता देवता को समर्पित किया गया है। सविता देवता को सूर्य देव के रूप में पूजा जाता है, जो प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत है और जीवन को प्रकाशमय बनाए रखता है।
गायत्री मंत्र की शाब्दिक अर्थ है, “तत्सवितुर्वरेण्यं” का मतलब है “उस प्रभावशाली सूर्यकोटि को हम चयन करते हैं”।
- गायत्री मंत्र का शाब्दिक अर्थ है “तत्सवितुर्वरेण्यं,” जिसका मतलब है “हम उस प्रभावशाली सूर्यकोटि को चयन करते हैं”। यह मंत्र सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश की महत्वपूर्णता को बताता है और सविता देवता की कृपा का आग्रह करता है।
गायत्री मंत्र का जप करने से मान्यता है कि यह मन, वचन, और क्रिया की पूर्णता की दिशा में मदद करता है
- गायत्री मंत्र का जप करने से हम अपनी मानसिक, वाक्कायिक, और क्रियात्मक पूर्णता की दिशा में मदद कर सकते हैं। इसका नियमित जप करने से हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और अपने विचारों को शुद्ध कर सकते हैं।
गायत्री मंत्र का चंद: प्रकृति का चंद है, जिस में बारह स्वर होते हैं, और इसलिए इसे “त्रिष्टुप् छंद” कहा जाता है।
- गायत्री मंत्र का चंद “त्रिष्टुप् छंद” है, जिसमें बारह स्वर होते हैं। यह चंद संसार की ऊर्जा को धारात्मक रूप से प्रस्तुत करता है और ध्यान को सुखद और समर्पणपूर्ण बनाए रखने में मदद करता है।
गायत्री मंत्र का जप विभिन्न योग और ध्यान प्रणालियों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक साधना के रूप में उचित है।
गायत्री मंत्र का जप विभिन्न योग और ध्यान प्रणालियों में एक महत्वपूर्ण धार्मिक साधना है। यह ध्यान की स्थिति में मन को शांति और समर्पण की अवस्था में ले जाता है, जिससे आत्मा का साक्षात्कार होता है।
गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से आत्मा को ऊँचाईयों तक पहुँचने में मदद मिलती है और व्यक्ति को आत्मा के साथ मिलने का अनुभव होता है।
- गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से आत्मा को उच्च स्तरों तक पहुँचने में मदद मिलती है और व्यक्ति को अपनी आत्मा से मिलने का अनुभव होता है। यह आत्मा के साथ साक्षात्कार का मार्ग प्रशस्त करता है और व्यक्ति को अंतर्यात्रा की अनुभूति में ले जाता है।
गायत्री मंत्र को सविता देवता के साथ जोड़कर “विद्या देवी” के रूप में भी पूजा जाता है, जिसे ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है।
- गायत्री मंत्र को सविता देवता के साथ जोड़कर “विद्या देवी” के रूप में भी पूजा जाता है, जिसे ज्ञान और बुद्धि की देवी माना जाता है। इससे शिक्षा, ज्ञान, और समझ में वृद्धि होती है और व्यक्ति को आत्मा की अधिक सूजीबूझी अनुभूति होती है।
गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से सकारात्मक ऊर्जा, चेतना, और आत्मा के साथ मिलने का अहसास होता है, जिससे व्यक्ति धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्धि प्राप्त कर सकता है।
- गायत्री मंत्र का नियमित जप करने से हम शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा को अपने अंदर महसूस करते हैं, जो हमें चेतना और आत्मा के साथ मिलन